#बूढ़ी आंखे सीने में सौ गम लेकिन, चुप रहती है बूढ़ी आंखे। सह लेती हर गम को फिर भी कुछ न कहती बूढ़ी आंखे ।। जिसकी छोटी सी हंसी की खातिर, अपनी खुशियीं की बाली चढ़ा दी। आज उसी के दरस की खातिर तिल-तिल जलती है बूढ़ी आंखे ।। अपने सीने से लहू पिलाकर जिस पौधे को बृक्ष बनाया। आज उसी की छाव की खातिर तरस रही है बूढ़ी आंखे ।। #Maddy #बूढ़ी आंखे