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ना कभी सोचा ना ही कभी समझा, अपनी बातों को शह दि

ना कभी सोचा  ना ही कभी समझा, अपनी  बातों को  शह दिए,
ना सुनी अभिभावकों की बातें, सिर्फ अपनी  बातों को कह दिए।

हर किसी की बातों कर दरकिनार, फरेब दुनिया  देख भरमा गए,
ना तीन के रहे ना तेरह के, सड़क सितारा बन सड़कों पर आ गए।

समय रहते हम  समझ ना सके, अपनी  समझदारी  नहीं दिखाई,
नहीं सुनी  किसी की  बातें, समय  गुज़र गया  तो समझ  में आई।

याद आती बातें  गुरुजनों की, "एक दिन सही रास्ते पर आओगे",
उस समय हम  नहीं रहेंगे, जब तुम हाथ  मलोगे और पछताओगे।

उस समय तो  बस हमने, उन्हें  अपना अति  क्षुद्र रूप दिखलाया,
उस  वक्त  'शायद  हम ही  गलत थे', हमें  आज  समझ  में आया। #शायद_हम_ही_गलत_थे_team_alfaz #newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
Today's Topic is 

*शायद हम ही गलत थे*

Any writer can write anything but *remember the rule*
ना कभी सोचा  ना ही कभी समझा, अपनी  बातों को  शह दिए,
ना सुनी अभिभावकों की बातें, सिर्फ अपनी  बातों को कह दिए।

हर किसी की बातों कर दरकिनार, फरेब दुनिया  देख भरमा गए,
ना तीन के रहे ना तेरह के, सड़क सितारा बन सड़कों पर आ गए।

समय रहते हम  समझ ना सके, अपनी  समझदारी  नहीं दिखाई,
नहीं सुनी  किसी की  बातें, समय  गुज़र गया  तो समझ  में आई।

याद आती बातें  गुरुजनों की, "एक दिन सही रास्ते पर आओगे",
उस समय हम  नहीं रहेंगे, जब तुम हाथ  मलोगे और पछताओगे।

उस समय तो  बस हमने, उन्हें  अपना अति  क्षुद्र रूप दिखलाया,
उस  वक्त  'शायद  हम ही  गलत थे', हमें  आज  समझ  में आया। #शायद_हम_ही_गलत_थे_team_alfaz #newchallenge

There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio)
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*शायद हम ही गलत थे*

Any writer can write anything but *remember the rule*