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तबाही उठी थी दिल मे, बर्बाद सारा ज़माना हों गया, मे

तबाही उठी थी दिल मे,
बर्बाद सारा ज़माना हों गया,
मेरा यार क्या गुज़रा गली से 
इश्क़ सबको पुराना हों गया,
ओर एक ही शख्स के दीदार का,
दीवाना सारा ज़माना हों गया,
रोका हमने हर एक को बेहकने से
मगर कमबख्त तब तक तबाह
घर हमारा हों गया ,
एक चलन ये भी रहा ज़माने का,
इश्क़ मुस्क छुपते नहीं छिपते,
केह कर हर समा परवाना हों गया!!

©Prabha ❤❤❤
  #इश्क़ की तबाही..

#इश्क़ की तबाही.. #शायरी

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