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शीर्षक - ऐसा कभी क्या किया है किसी ने ------------

शीर्षक - ऐसा कभी क्या किया है किसी ने
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ऐसा कभी क्या, किया है किसी ने।
अपने लिए कुछ भी, चाहा नहीं किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,-----------------------।।

इच्छा नहीं है किसकी, महलों में रहने की।
काँटों का बिछौना अपना, बिछाया है किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,-----------------------।।

खुशियाँ कौन नहीं चाहता है, जिंदगी में।
खुशी अपनी कम क्या, की है, किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,----------------------।।

गरीब से कौन नफरत, करता नहीं है।
दौलत गरीबों को, बाँटी है किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,---------------------।।

रखना नहीं चाहता कौन, खुद को जी.आज़ाद।
अपना चिराग क्या, बुझाया है किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गजल_सृजन
शीर्षक - ऐसा कभी क्या किया है किसी ने
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ऐसा कभी क्या, किया है किसी ने।
अपने लिए कुछ भी, चाहा नहीं किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,-----------------------।।

इच्छा नहीं है किसकी, महलों में रहने की।
काँटों का बिछौना अपना, बिछाया है किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,-----------------------।।

खुशियाँ कौन नहीं चाहता है, जिंदगी में।
खुशी अपनी कम क्या, की है, किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,----------------------।।

गरीब से कौन नफरत, करता नहीं है।
दौलत गरीबों को, बाँटी है किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,---------------------।।

रखना नहीं चाहता कौन, खुद को जी.आज़ाद।
अपना चिराग क्या, बुझाया है किसी ने।।
ऐसा कभी क्या,---------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #गजल_सृजन