एक अच्छी लड़की से मैं प्यार करता था.. पर प्यार हमारा समाज से डरता था.. उसकी शादी हो गई और मैं अकेला रह गया.. हमारे सपनों का घर सपनों में ही रह गया.. आज वह खुश है अपने घर परिवार में.. पर मैं बंधा हूं अपने प्यार के जाल में.. वह साथ होती तो कितना अच्छा होता.. कभी हंसाती कभी रुलाती हमारा प्यार सच्चा होता.. आज वह अकेली नहीं दो बच्चे की मां है.. पर मैं अकेला हूं कोई नहीं साथ है.. मैं बीमार हूं खबर भिजवाई उसके पास.. अभी भी बरकरार थी एक बार मिलने की आश.. पर उसने जवाब दिया अब नहीं मिल सकती हूं.. क्योंकि अब मैं तुम्हारे बिना भी जी सकती हूं.. तुम्हारे प्यार के खातिर परिवार को नहीं भुलानी है.. तुमसे ना मिलकर पहले प्यार की देनी कुर्बानी है.. मैं जवाब सुनकर बिल्कुल सन्न रह गया.. बेहोशी छाती गई और जान निकल गया.. ©Asad_Poetry_25 #Dard #Bewafa #Dard_e_dil #SAD sad shayari