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काँटों सा चुभता जीवन ये आखिर बोलो कब तक काटें सुब

काँटों सा चुभता जीवन ये आखिर बोलो कब तक काटें

सुबह सलोनी होती लेकिन दर्द धूप संग आ जाते हैं
मेरे सारे सपनों पर ये धूल धूल बिखरा जाते हैं

साँझ जलाये दीपक लेकिन फिर भी कितनी काली रातें

गीत प्रेम के कितने लिख्खे लेकिन कोई काम न आया
सूखा मेरा आँगन अबतक बादल मेरा घर ना पाया

पा से प्रेमी पा से पीड़ा विषय गीत का कैसे छाँटें

जिन राहों पर मिलती मंज़िल उनपर चलना बेहद मुश्किल
लेकिन ऐसी बातों से बस रुकता होगा कोई बुजदिल

हम तो हठ में पर्वत को भी छोटे छोटे कण में बाटें

©पीयूष राज गीत

काँटों सा चुभता जीवन ये
आखिर बोलो कब तक काटें

सुबह सलोनी होती लेकिन
दर्द धूप संग आ जाते हैं
मेरे सारे सपनों पर ये
काँटों सा चुभता जीवन ये आखिर बोलो कब तक काटें

सुबह सलोनी होती लेकिन दर्द धूप संग आ जाते हैं
मेरे सारे सपनों पर ये धूल धूल बिखरा जाते हैं

साँझ जलाये दीपक लेकिन फिर भी कितनी काली रातें

गीत प्रेम के कितने लिख्खे लेकिन कोई काम न आया
सूखा मेरा आँगन अबतक बादल मेरा घर ना पाया

पा से प्रेमी पा से पीड़ा विषय गीत का कैसे छाँटें

जिन राहों पर मिलती मंज़िल उनपर चलना बेहद मुश्किल
लेकिन ऐसी बातों से बस रुकता होगा कोई बुजदिल

हम तो हठ में पर्वत को भी छोटे छोटे कण में बाटें

©पीयूष राज गीत

काँटों सा चुभता जीवन ये
आखिर बोलो कब तक काटें

सुबह सलोनी होती लेकिन
दर्द धूप संग आ जाते हैं
मेरे सारे सपनों पर ये

गीत काँटों सा चुभता जीवन ये आखिर बोलो कब तक काटें सुबह सलोनी होती लेकिन दर्द धूप संग आ जाते हैं मेरे सारे सपनों पर ये #Love #Problems #whenIpendown