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इतनी फक़त रवानी हो, वक़्त को भी हैरानी हो, नाज़न

इतनी फक़त रवानी हो, 
वक़्त को भी हैरानी हो,

नाज़नीन सी लगे गज़ल, 
हर  मिसरा  रूहानी  हो,

आए-गए  लोग  कितने, 
कोई न उसका सानी हो,

दोस्त पे जाँ कुर्बां कर दे,
कर्ण  के  जैसा दानी हो,

जब भी दे आवाज़ मुझे, 
सुर जानी  पहचानी  हो,

दिल को मिले सुकून मेरे,
ऐसी  एक  निशानी   हो, 

पर्वत  से   चूमे   आकर, 
झरने  का  वह पानी हो,

बहे तो दरिया बन जाए, 
'गुंजन' प्रेम  दीवानी हो, 
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #इतनी फक़त रवानी हो#
इतनी फक़त रवानी हो, 
वक़्त को भी हैरानी हो,

नाज़नीन सी लगे गज़ल, 
हर  मिसरा  रूहानी  हो,

आए-गए  लोग  कितने, 
कोई न उसका सानी हो,

दोस्त पे जाँ कुर्बां कर दे,
कर्ण  के  जैसा दानी हो,

जब भी दे आवाज़ मुझे, 
सुर जानी  पहचानी  हो,

दिल को मिले सुकून मेरे,
ऐसी  एक  निशानी   हो, 

पर्वत  से   चूमे   आकर, 
झरने  का  वह पानी हो,

बहे तो दरिया बन जाए, 
'गुंजन' प्रेम  दीवानी हो, 
--शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
    चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #इतनी फक़त रवानी हो#