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Unsplash रचना दिनांक,12,,12,2024 वार गुरु

Unsplash          रचना दिनांक,12,,12,2024
वार गुरुवार
समय दोपहर तीन बजे
्््
  ्भावचित्र ्
           ् निज विचार ्
            ्।   ्शीर्षक ्
              ्मेरा पहला प्यारचाहे गायकी हो या ्प्यारा सा जीवन लेखनी कलम दवात कागज पर लिखकर कवि कविता में आंखें खोल कर देखें तो अपने आप मेरे जीने मरने का सबब मिल गया् ्
       ््
गायकी और गायक और उसका,
पहला प्यार करने वाले अच्छे लगते है,,
माना कि प्रेम की केमिस्ट्री में उम़ उमंग उमड़ पड़े।।1।।
 जो किसी पड़ाव का का मक्ता जेहन में बन रहे,, नज़्म से या ग़ज़ल की शाश्वत तरन्नुम बन जाय।2।
 तो मस्तिष्क में जवां रवानगी छा गई,,
मायूसी मेरे लिए कभी ,,
मेरी आजादी में, आड़े नहीं आई।।3।।
तुम मेरा पहला प्यार करने वाले अच्छे अहसास ने,,
 मेरे सोये हुए जीवन को परखना और तराशने की महारत गायकी हो या फिर प्यारी सी लेखनीबद्ध
 कर देख रही है ।।4।।
मेरे प्रेम की माशूका जो जीने का नशा,,
 निशा में रात की मयखाने की शाम बन गई,।।5।।
वो लफ्जो से मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर,,
 या फिर गायकी में पहला प्यार करने वाले को जिन्दा  कर जीता जागता जिन्न सा भाव में,
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
12,,,12,,2024,











 निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता में प्रेम गान को कोटिश्यं नमन करते हैं।।6।।
               ्कवि शैलेंद्र आनंद ्

©Shailendra Anand #Book  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
Unsplash          रचना दिनांक,12,,12,2024
वार गुरुवार
समय दोपहर तीन बजे
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  ्भावचित्र ्
           ् निज विचार ्
            ्।   ्शीर्षक ्
              ्मेरा पहला प्यारचाहे गायकी हो या ्प्यारा सा जीवन लेखनी कलम दवात कागज पर लिखकर कवि कविता में आंखें खोल कर देखें तो अपने आप मेरे जीने मरने का सबब मिल गया् ्
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गायकी और गायक और उसका,
पहला प्यार करने वाले अच्छे लगते है,,
माना कि प्रेम की केमिस्ट्री में उम़ उमंग उमड़ पड़े।।1।।
 जो किसी पड़ाव का का मक्ता जेहन में बन रहे,, नज़्म से या ग़ज़ल की शाश्वत तरन्नुम बन जाय।2।
 तो मस्तिष्क में जवां रवानगी छा गई,,
मायूसी मेरे लिए कभी ,,
मेरी आजादी में, आड़े नहीं आई।।3।।
तुम मेरा पहला प्यार करने वाले अच्छे अहसास ने,,
 मेरे सोये हुए जीवन को परखना और तराशने की महारत गायकी हो या फिर प्यारी सी लेखनीबद्ध
 कर देख रही है ।।4।।
मेरे प्रेम की माशूका जो जीने का नशा,,
 निशा में रात की मयखाने की शाम बन गई,।।5।।
वो लफ्जो से मेरे मित्र कलम दवात कागज पर लिखकर,,
 या फिर गायकी में पहला प्यार करने वाले को जिन्दा  कर जीता जागता जिन्न सा भाव में,
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
12,,,12,,2024,











 निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता में प्रेम गान को कोटिश्यं नमन करते हैं।।6।।
               ्कवि शैलेंद्र आनंद ्

©Shailendra Anand #Book  मोटिवेशनल कोट्स इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स
्््््कवि शैलेंद्र आनंद