कभी तो मेरे घर को घर कीजिये इनायत भरी कुछ नज़र कीजिये उठा हाथ अपने दुआ कर रहा दुआओ में पैदा असर कीजिये चलाओ बड़े शौक से तीर तुम निशाना मगर वो इधर कीजिये घड़ी आयेगी कब मिलन की मेरे जरा आने की अब खबर कीजिये गुजर जायें ना ये हँसी लम्हे यूँ अजी इस तरफ भी सफर कीजिये बड़ा प्यास क्यों हाथ छुड़ाते हो मिटा कर मेरी प्यास तर कीजिये ( लक्ष्मण दावानी ✍ ) 9/6/2017 ©laxman dawani #Shajar #Love #Life #romance #Knowledge #Poetry #gazals #poem #Poet #thought