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laxmandawani7800
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laxman dawani

26 दिसम्बर 1968

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laxman dawani

2122     2122     2122     212
खेल दिल का जब सियासत से ये खेला जायेगा
इश्क  तब  तब  हुस्न  के हाथों  से मारा जायेगा

बेबसी  समझो   इसे  या  की   मुहब्बत  ये  मेरी
दिल में तुम हो दिल ये तुम ही पे लुटाया जायेगा

मुद्दतो   से  इन   लबो  पे   गीत  आये   ही  नहीं
अब बुला कर उन्हें महफ़िल को सजाया जायेगा

सोचते  क्यों  हो  मेरी  इस  ज़िन्दगी  के  बारे  में 
ज़िन्दगी  के  साथ  जो  होगा  वो  देखा  जायेगा

बेवफा   है  बेवफा  ही   रहने  दो   उनको   यहाँ
साथ मुश्किल में  मगर  उनका  निभाया जायेगा

ये  दिलो के खेल  कभी हमको समझ आये नहीं
यूँ बसा के दिल में फिर दिल से निकाला जायेगा

खेलते  दिल से  खिलौना हो  समझ कर तुम मेरे
ये   खिलौना  तेरे  ही   हाथो  से   तोडा  जायेगा
            ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
20/1/2017

©laxman dawani #alone #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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laxman dawani

1222    1222    122
हमारे   चश्म    जो   पुरनम   हुये  है
जुदाई    में    तेरी    हमदम   हुये  है

मिले  है   दर्द  जो  भी  मोहब्बत  के
यहाँ  पर  कब  किसी के  कम हुये है

जिसे   चाहा   उसी   ने   ठोकरें   दी
जहाँ  के  जुल्म   भी  हरदम  हुये  है

सहे  है  ज़ख्म  हँसकर  दिल  पे मैंने
सितमगर के  सितम क्या कम हुये है

मिला  कब  साथ  हमको रौशनी का
जला  के  खुद को  हम  पूनम हुये है

अज़ल जब  ज़िन्दगी का आ गया ये
तभी  दिलबर  के  घर  मातम हुये है
       ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
20/1/2017

©laxman dawani #hangout #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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laxman dawani

122    122    122    122
न   ढूंढो  मुझे   अपने  परछाइयों  में
बसा  हूँ  तेरे  दिल  कि  गहराइयों  में

गुजरती   रही  साय  ज़ुल्फो  में  मेरी
तेरे    हुस्न   की    यार   रानाइयों  में

अहद इश्क का कर गया गर्क उल्फत
सितम  सहते है  हम  ये  तन्हाइयों में

जलाया  मुझे  मेरे  अपनों  ने  ही था
कहाँ  दम  चिरागों की रोशनाइयों  में

सबा  कह  रही  दास्ताँ  दर्द  की अब
रही   गूँजती   आहें    शहनाइयों   में

छुपा  बैठे  है   सीने  में   दर्दे उल्फत
कभी  सुन ले  आकर ये चौपाइयों में
        ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
19/1/2017
अहद - प्रतिज्ञा
सबा - ठंडी हवा

©laxman dawani #paper #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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laxman dawani

1222     1222     1222     2
नई दुल्हन सि हमको वो सजी लगती है
गुलाबों  की महकती  पाँखुड़ी लगती है

करो  ना  प्यार से  इन्कार  अब तुम भी
बिना  तेरे ये  हर  ख़ुशी  बुरी  लगती है

गुजर  सकती  नहीं  ये  जिन्द  बिन तेरे
मुझे ये  ज़िन्दगी  अपनी थमी लगती है

टिकी  है नज़रें  हमपे  अब  जमाने की
जहाँ  देखो  वहीँ  नज़रे  घिरी लगती है

सभी  करते   बातें   यहाँ  मुहब्बत  की
जुबाँ से  उनके ये  बातें  बनी  लगती है

न कर  वादे वफ़ा  की बातें  अब हमसे
ये बातें  अब हमें  मीठी  छुरी  लगती है

करूँ जो कोशिशें  समझाने की उनको
मिरी हर  बात उन्हें  क्यों बुरी लगती है
          ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
18/1/2017

©laxman dawani #Morningvibes #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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laxman dawani

1222    1222    1222    1222
चमन वीरान  है दिल का , मिरे तुम आके महकाना
तरसती  है  निगाहें   दीद  को   तुम आके  दे जाना

लगी   है  यूँ  नज़र  मेरी   मुहब्बत  पर   ज़माने की
मुझे  कहते  है  दुनियाँ  मैं  में  हूँ खुद  से ही बैगाना

तिरी  चाहत  में   फिरता हूँ जहाँ की ठोकरें खाकर
कहाँ तक ठोकरें हम खायें अब आकर ये समझाना

गुजारूँ  कैसे  मैं  ये  ज़िन्दगी  बिन  तेरे  तन्हा  अब
तरीका  जीने  का हमको  कभी  आकर ये बतलाना

बहा  कर  आँसु तुमने भी  कही थी  बात  ये हमको
जमाना  चाहे  ठुकराये  मगर  तुम   ना यूँ  ठुकराना

तड़फती रूह को  तुम और  तड़फाओ  न जाने जां
तिरे  कदमो  में  ही  है  आज  भी  तेरा  ये  परवाना
              ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
18/1/2017

©laxman dawani #Lights #Love #Life #romance #Poetry #gazal #experience #poem #Poet #Knowledge
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laxman dawani

2122    2122    212
फूल था दिल का खिला पहली दफा
जब  हुआ  था  सामना  पहली दफा

छाई  रहती   थी  यूँ   दिल में  बैचेनी
वो  सुकूँ दिल का  लगा  पहली दफा

कर  गई   घायल  अदा  उनकी  मुझे
तीर  नज़रों   का  चला  पहली  दफा

नज़रे  नज़रो  से मिली थी उनके जब
उनमे  खुदा   था  दिखा  पहली दफा

झील  सी  आँखों में  तूफाँ  था  छुपा
उन  निगाहों   में  डुबा  पहली  दफा

इस   कदर  सुरूर   था  मुझपे  चढ़ा
छा  गया  था  वो  नशा  पहली दफा

कितने अरमां दिल के बाकी है अभी
जग  उठा   है  हौसला  पहली  दफा

अँधेरे   छाये    थे    जीवन   में   मेरे
दीप  ख़ुशी  का  जला  पहली  दफा
     ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
18/1/2017

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laxman dawani

1222    1222    122
जहाँ का हर सितम हंस के सहा है
रहो  तुम  खुश  यही  मेरी  दुआ है

भरोसा  कर  न गैरो  पे  यहाँ  तुम
दिलो  को   दर्द  गैरो  से  मिला  है

बसी है दिल में अब मूरत तुम्हारी
मेरे  दिल  में  तेरा  ही  बुतकदा है

दिखाई  दे   रहे  जो   दाग  मुझमें
मुहब्बत का मिला हमको सिला है

शफक तो आज  भी दीदार का है
बना  कर  फासला  तुमने  रखा है

तड़फता  ही रहूँ  चाहत में उसकी
खजालत   में  यही  मेरे  लिखा है
     ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
17/1/2017
शफक - जूनून
खजालत - भाग्य

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laxman dawani

2122    1212    22
ज़िन्दगी  दर्द   से  यूँ हारी  है
हर नफ़स ज़िन्दगी पे भारी है

चुपके से आते  है ये रातों को
दर्द  की  मुझसे  ऐसे  यारी है

गुजरेगी आज रात फिर तन्हा
रात फिर आज की ये भारी है

कह रहे बहते अश्कआँखों के
दर्द से  जंग  अब भी जारी है

आ गया वक्त मौत का शायद
किसकी साँसों  पे ताबेदारी है

हँसके बाहों में  वो समा लेगी
मौत तो  इश्क  की पुजारी है

मौत को  हम गले  लगा लेंगे
मौत तो  ज़िन्दगी से प्यारी है
    ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
16/1/2017

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laxman dawani

1222    1222    1222    1222
संजो रख्खे हैं जो सपने  उन्हें बतला नहीं सकता
कलेजा चीरकर अपना तुम्हे दिखला नहीं सकता

तुझे  चाहा  तुझे  पूजा   तेरी  ही  बन्दगी  की  है
किसी भी और के आगे ये सर झुका नहीं सकता

यूँ  मिलती है  मसर्रत जो तुम्हे  ये दिल दुखाने में
कभी में दिलकिसी का ऐसे तो दुखा नहीं सकता

बसी है  मेरे साँसों में महक  कुछ  इस कदर तेरी
छुपाना  चाहूं भी  तो मैं  कभी छुपा  नहीं सकता

न होना तुम खफा हम से कभी भी ऐ मेरे हमदम
जुदा होके में तुमसे  ज़िन्दगी महका नहीं सकता

करूँ  मैं  कैसे  तुमसे  झूठे  वादे  हम सफर  मेरे
जमी पर चाँद  तारे तोड़  कर  में ला नहीं सकता
           ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
16/1/2017

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laxman dawani

12122      12122
ये दर्दे  दिल  बेशुमार आये
चाहत में होके शुमार आये

दिखा  नहीं कोई  तेरे जैसा
नज़र  में  मेरी हज़ार  आये

मुद्दत से है आरजू  मेरी भी
मेरे  लिये  गम गुसार आये

फिगार  है  तेरे  चाहतो  में
कभी हमें  भी  करार आये

इनायतें  बक्श  दे  हमें भी
दहर  में   मेरी  बहार आये

सुखन लिखी  मैंने नाम तेरे
यूँ सुर दे अपने बयार आये
  ( लक्ष्मण दावानी ✍ )
15/1/2017
फिगार - घायल
दहर - दुनियाँ
सुखन - कविता

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