मैं महक फ़ूलों की तू मेरी रक्षक वनमाली मैं खुशियां तेरे अंतर्मन की तू लहू मेरे यौवन की।।। मैं स्वच्छंद समीर तेरी वादियों का तू मनमोहक तस्वीर अनंत साग़र की मै निर्मल नयन सुंदर छाया तू अनमोल काया सम्पूर्ण जगत की।।। मैं पगडंडी का एकमात्र राही तू उस छोड़ की कुमकुम-रति मैं मोर-सा क्रीडित-चंचल मन तू स्थिर स्वर्णिम संगीत शिथिल-सी।।। मैं कुसुम की कोमल पंखुरी तू फलों की बगिया फूलों की फुलवारी मैं अर्पित बालक तेरे हर उद्भव का तू प्रकृति-माँ मेरी हर जनम की।।। #मैऔरतू (६) #poetry #naturediariesbyarpit #love#nature #yqdidi#yqbaba #mothertongue_verse