White ख़ुश बयानी के सलीक़े भी उछाले जायेंगे कुछ कहेगा शेर कुछ मानी निकाले जाएंगे हम तो वो तारीख़ हैं ज़हनों में रहना है जिसे काग़ज़ी पुर्जे नहीं जो फाड़ डाले जाएंगे जिस ज़मीं पर मैं खड़ा हूं वो मेरी पहचान है आप आंधी हैं तो क्या मुझको उड़ा ले जाएंगे अब तो ये आदाब ए महफ़िल ही करेंगे फ़ैसला तुम निकाले जाओगे या हम निकाले जाएंगे आप बस किरदार हैं अपनी हदें पहचानिए वरना भी एक दिन कहानी से निकाले जाएंगे ©R K Prasad #Thinking birthday wishes for father