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gopalkipagli7830
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R K iccha

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R K iccha

रामनवमी का पर्व इसलिए मनाया गया कि इसके निमित्त हम कुछ संयम का पालन करें, और रामायण पढ़कर कुछ सीखें। देहधारी मनुष्य परमेश्वर को दूसरे तरीके से नही पहचान सकता। 
वे राम तो अजन्मा हैं। वे सृष्टि को पैदा करने वाले हैं, संसार के स्वामी हैं। इसलिए हम जिन राम का स्मरण करना चाहते हैं वे राम हमारी कल्पना के राम हैं, दूसरे की कल्पना के राम नही........ 
जो हमारे हृदय में बसते वे राम देहधारी हो ही नही सकते, या किसी साल के चैत्र की नवमी को उनका जन्म हुआ ही नही होगा। 
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मेरा राम मुझे ही तरेगा, आपको नही और आपका राम आपको तरेगा, मुझे नही। 

खेर, आप सभी फेसबुक सदस्य को रामनवमी की ढेर सारी शुभकामनयें।। भगवान राम आप सबको सुख शांति शिक्षा स्मृति प्रदान करे।।।।।। 

#RamNavami2022 #RamNavami 
#r_k_prasad

copyright © Rk iccha

©R K iccha #Love
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R K iccha

संगीत सुनकर ज्ञान नही मिलता,
मंदिर जाकर भगवान नही मिलता,, 
पत्थर तो इसलिए पूजते लोग,,, 
क्योंकि 
विश्वास के लायक इंसान नही मिलता....

Copyright : R k iccha
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©R K iccha #PenPaper
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R K iccha

R k .........सीता माता सी कोई नहीं....... iccha
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राधा बनने को सब चाहे माता सीता सी कोई नहीं । 
सब कृष्ण के प्रेम में भटक रही संग रोम के वन में कोई नही ।। 
ये क्यों कहते हैं धोका खा गई रो - रो वक़्त गुज़ार रही । 
सब ढुंढ़ती रही है राजभवन  सीता सा वन पथ कोई नहीं । 
फिर कहां मिलेगा सत्य प्रेम जो कर्तव्यों से जूझी नहीं । 
वो जनक सुता महलों की ज्योति वन आकर भी बूझी नहीं ।। 
बीता दिया कांटों में जीवन फिर भी लंका की हुई नहीं । 
राम हुए बस सीता के ..... वो और किसी की हुई नहीं ।  
राधा बनने को सब चाहे माता सीता सी कोई नहीं । 
सब कृष्ण के प्रेम में भटक रही संग रोम के वन में कोई नही ।।

Copyright ©R k iccha




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©R K iccha #Love

Love #Quotes

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R K iccha

माँ बाप कुछ करने से रोके तो बुरे हैं हैं और Babu sona dhaniya pudina रोके तो care,,,, 
वाह रे Digital हरामखोरों




Copyright  R k iccha






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©R K iccha #Winter
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R K iccha

R k iccha
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पत्नी के हांथो का गर्म गर्म खाना खाने के बाद पति का चेहरा जब संतुष्ट होकर गुलाब की तरह जब खिल जाता है , बस ! यही ROSE DAY हैं !!! 
जब पति - पत्नी एक - दूसरे को जिंदगी भर सुख दुःख में साथ देने की बात करते हैं , बस ! वही PROPOSE DAY हैं !!!
रस्ते पर किसी अनाथ बच्चे को चॉकलेट खिलाओ और उसके हँसते चेहरे पे ख़ुशी देखो बस ! वही हैं !!! CHOCOLATE DAY 
बच्चों के लिये टेडी क्यूँ खरीदें , बल्कि खुद उनके साथ उनके दोस्त बनकर खेलें बस ! वही TEDDY DAY हैं !!!
माता - पिता और सास - ससुर को कभी वृद्धाश्रम में नहीं जाने देंगे , यह वचन ही PROMISE DAY हैं !!! 
परिवार में के सभी सदस्य एक दूसरे के काम को सराहे , और एक दूसरे को गले लगा कर प्रोत्साहित करे बस ! वही HUG DAY हैं !!!
आगे आप ख़ुद समझदार हैं

copyright : R k iccha






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©R K iccha #RoseDay2021
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R K iccha

रिश्ते 

रिश्ते कितने खोखले हो गए। लकड़ी में जैसे घुन लग गए। कब खा गई अहम की  दीमक। भीतर सभी भुरभुरे हो गए।





copyright : R k iccha









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©R K iccha
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R K iccha

फूलों सी "सिर्फ गुलाब देने से मोहब्बत हो जाती,
तो माली पूरे शहर का महबूब होता"

.....😎



Copyright : R. k iccha














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©R K iccha #dilkibaat
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R K iccha

स्वाभिमान 
सोलह श्रृंगार की पहली कड़ी है।

- इच्छा

Copyright : R. k iccha



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©R K iccha #PenPaper
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R K iccha

Maa Mujhe Vardan Do Ki   नमन करूँ मैं तुम्हें शारदे आओ अब उद्धार करो।
लिये लेखनी खड़ी द्वार पर सपना मेरे साकार करो।
भरकर मुझमें ज्ञान कोष तू वाणी भी निर्मल कर दे।
बहे सदा रसधार लेखनी से माँ ऐसा तू वर दे।
समझ मुझे सुत अपना अब तुम आकर मुझसे प्यार करो।
लिये लेखनी खड़ी द्वार पर सपना मेरे साकार करो।
धवल वर्ण है शुभ्र वसन है श्वेत कमल तोहे सोहै।
सरल सौम्य ही रूप तुम्हारा जन जन को माँ है मोहै।
बसो हृदय में आकर मेरे आओ बसन्त बहार भरो।
लिये लेखनी खड़ी द्वार पर सपना मेरे साकार करो।
अर्पण है संगीत तुम्हीं से गीतों में सरगम तुमसे।
कण्ठ ताल लय सुर का देखा अद्भुत है संगम तुमसे।
हे स्वरदेवी नमन तुम्हें है शब्द सुमन स्वीकार करो,
लिये लेखनी खड़ी द्वार पर सपना मेरे साकार करो।
तेरी वीणा से निकले स्वर झंकृत कर दें जीवन को।
प्रेम सुधारस बरस के पावन कर दे मेरे तन मन को।
मेरे जीवन की गागर में शब्दों का भण्डार भरो।
लिये लेखनी खड़ी द्वार पर सपना मेरे साकार करो।
पथ से अपने कभी न भटकूँ ज्योतिर्मय जीवन कर दे।
बुद्धि विमल हे करो शारदे पाप विमुख मन को कर दे।
चरण में तेरे पड़ी हूँ माँ मैं, ठुकरा दो या प्यार करो।
लिये लेखनी खड़ी द्वार पर सपना मेरे साकार करो। 

   -----------R.k iccha---------

©R K iccha #durga
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R K iccha

नमस्कार
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नारद चले सृष्टि को देखन, हर कण का करके अवलोकन, हर कोना निस्तब्ध वीरान  नर में छाया एकाकीपन। 
कैसे आएगी चंचलता, नाचेगा जब पत्ता पत्ता, सृष्टि का ब्रह्मा रचयिता, फिर क्यों प्रकृति का पक्ष ये रीता ?
सोच यहाँ है हल वहाँ है, और पिता के दर पर आते, अरे व्याकुल उनको भी पाते, पितामह अपनी विपदा कहते। 
ऐसा क्या संचार करूँ मैं, दुखी धरा पर उत्सव छाए, चेहरों पर मुस्कान के संग नर का जीवन सफल बनाए। कुछ ऐसा जो जल सा मीठा, कोमल शीतल कहलाए, कुछ पावक सा दृढ़ प्रतिज्ञ हो शैल बन जाए। कुछ ऐसा जो धरा सा धीर बन जन पीड़ा हर पाए, कुछ ऐसा जो गगन सा विस्तृत शक्ति से रौशन कर जाए। कुछ वायु सा वेग चंचल मर्यादित मन को छू जाए, कैसे भरूँ इन रंगों को, सोच मुझे व्याकुल कर जाए।
नेक विचार आपका भगवन, छोड़ें अब ये सोच मनन, पंच तत्व को करो हृदयंगम, विपदा का काटो अब बंधन।


🌺copyright - R.k iccha









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©R K iccha #Flower
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