सर्बमान्य सिद्ध हैँ कि लोहा ही लोहे को काट सकता हैँ पर इस बात में भी भरपूर सचाई निहित हैँ कि दुख की पर्याप्त मात्रा दवाई समझ कर घटक ली जाए तो हर दिन उस दुखी को निर्वाण मुक्ति और कैवल्य का पुण्य अर्जित करने का अवसर मिल सकता हैँ फिर उसे ये बोध भी हो जाता हैँ कि जगत मिथ्या हैँ ब्रह्म सत्य हैँ ©Parasram Arora जगत मिथ्या ब्रह्म सत्य.......