वास्तविकता जीवन की - - - - - - - - - - - - - - - - चिंताओं की लहरों में फंसा, दिखता नहीं किनारा है आज के समय में तो दोस्तों, हर कोई अपनों से हारा है। उस पथरीले टीले पर देखो, जो वो बैठा बेचारा है वह टीला नहीं वह पत्थर है, जो उसे अपनों ने मारा है। ज़्यादा दिल भी न लगाओ, किसी से भी इस दुनिया में यहाँ न कोई किसी का प्यारा, न कोई किसी का दुलारा है। जो नंगे पैर दौड़ा था प्रेम में, किसी सुदामा के लिए अपना तो एक वही मोहन, केवल एक ही सहारा है। चिंताओं की लहरों में फंसा, दिखता नहीं किनारा है आज के समय में तो दोस्तों, हर कोई अपनों से हारा है। ✍️अवधेश कनौजिया #शायरी #शेर #कविता #जीवन