"जिस साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, आध्यात्मिक और मानसिक तृप्ति न मिले, हममें गति और शक्ति न पैदा हो हमारा सौंदर्य प्रेम न जागृत हो, जो हममें संकल्प और कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।" ......... मुंशी प्रेमचंद......... "जिस #साहित्य से हमारी सुरुचि न जागे, #आध्यात्मिक और #मानसिक #तृप्ति न मिले, हममें गति और #शक्ति न पैदा हो, हमारा सौंदर्य #प्रेम न जागृत हो, जो हममें #संकल्प और #कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने की #सच्ची दृढ़ता न उत्पन्न करे, वह हमारे लिए बेकार है वह साहित्य कहलाने का अधिकारी नहीं है।" ~ मुंशी प्रेमचंद #Books @rkyskyfrnds4ever @nojotoquotes @nojotohindi