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मैं, मेरी आँखें, और मेरा मन,उस दिन जागते रहे थे ती

मैं, मेरी आँखें, और मेरा मन,उस दिन जागते रहे थे तीनों,
निकल पड़े फिर बेशर्म बावरे,रहे भटकते यूँ ही महीनों,
झुकी पलकों से छन के,बचते-बचाते आयी थी तिरछी नजर वो,
ख्यालों को आज भी गुदगुदाती,उसकी नमकीन करारी यादें,और
यादों में मुस्काती मेरी निम्मो.
 मैं, मेरी आँखें, और मेरा मन,
उस दिन जागते रहे थे तीनों,
निकल पड़े फिर बेशर्म बावरे,
रहे भटकते यूँ ही महीनों,
झुकी पलकों से छन के,
बचते-बचाते आयी थी तिरछी नजर वो,
ख्यालों को आज भी गुदगुदाती,
उसकी नमकीन करारी यादें,और
मैं, मेरी आँखें, और मेरा मन,उस दिन जागते रहे थे तीनों,
निकल पड़े फिर बेशर्म बावरे,रहे भटकते यूँ ही महीनों,
झुकी पलकों से छन के,बचते-बचाते आयी थी तिरछी नजर वो,
ख्यालों को आज भी गुदगुदाती,उसकी नमकीन करारी यादें,और
यादों में मुस्काती मेरी निम्मो.
 मैं, मेरी आँखें, और मेरा मन,
उस दिन जागते रहे थे तीनों,
निकल पड़े फिर बेशर्म बावरे,
रहे भटकते यूँ ही महीनों,
झुकी पलकों से छन के,
बचते-बचाते आयी थी तिरछी नजर वो,
ख्यालों को आज भी गुदगुदाती,
उसकी नमकीन करारी यादें,और

मैं, मेरी आँखें, और मेरा मन, उस दिन जागते रहे थे तीनों, निकल पड़े फिर बेशर्म बावरे, रहे भटकते यूँ ही महीनों, झुकी पलकों से छन के, बचते-बचाते आयी थी तिरछी नजर वो, ख्यालों को आज भी गुदगुदाती, उसकी नमकीन करारी यादें,और #eros #MeriNimmo