Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुक्तक :- अम्बें तुम्हारे भक्त देखो सब झुकाएँ शी

मुक्तक :- अम्बें 

तुम्हारे भक्त देखो सब झुकाएँ शीश जगदम्बें ।
तुम्हारे नित्य दर्शन से मिले आशीष जगदम्बें ।
भटक कर योनियाँ सारी बने इंसान यह सब हैं -
इन्हें भी मुक्ति दे दो माँ तुम्हीं वागीश जगदम्बें ।।

बुरे अब कर्म हो जिसके करो संहार जगदम्बें ।
भले हो जो यहाँ मानव करो उद्धार जगदम्बें ।
यही विनती करूँ मैं माँ तुम्हारे आज दर पर मैं -
प्रखर भी है बुरा तो अब दियो दुत्कार जगदम्बें ।।

१६/१०/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *🙏🌹सादर समीक्षार्थ🌹🙏*

मुक्तक :- अम्बें 

तुम्हारे भक्त देखो सब झुकाएँ शीश जगदम्बें ।
तुम्हारे नित्य दर्शन से मिले आशीष जगदम्बें ।
भटक कर योनियाँ सारी बने इंसान यह सब हैं -
इन्हें भी मुक्ति दे दो माँ तुम्हीं वागीश जगदम्बें ।।
मुक्तक :- अम्बें 

तुम्हारे भक्त देखो सब झुकाएँ शीश जगदम्बें ।
तुम्हारे नित्य दर्शन से मिले आशीष जगदम्बें ।
भटक कर योनियाँ सारी बने इंसान यह सब हैं -
इन्हें भी मुक्ति दे दो माँ तुम्हीं वागीश जगदम्बें ।।

बुरे अब कर्म हो जिसके करो संहार जगदम्बें ।
भले हो जो यहाँ मानव करो उद्धार जगदम्बें ।
यही विनती करूँ मैं माँ तुम्हारे आज दर पर मैं -
प्रखर भी है बुरा तो अब दियो दुत्कार जगदम्बें ।।

१६/१०/२०२३    -   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *🙏🌹सादर समीक्षार्थ🌹🙏*

मुक्तक :- अम्बें 

तुम्हारे भक्त देखो सब झुकाएँ शीश जगदम्बें ।
तुम्हारे नित्य दर्शन से मिले आशीष जगदम्बें ।
भटक कर योनियाँ सारी बने इंसान यह सब हैं -
इन्हें भी मुक्ति दे दो माँ तुम्हीं वागीश जगदम्बें ।।

*🙏🌹सादर समीक्षार्थ🌹🙏* मुक्तक :- अम्बें तुम्हारे भक्त देखो सब झुकाएँ शीश जगदम्बें । तुम्हारे नित्य दर्शन से मिले आशीष जगदम्बें । भटक कर योनियाँ सारी बने इंसान यह सब हैं - इन्हें भी मुक्ति दे दो माँ तुम्हीं वागीश जगदम्बें ।। #कविता