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जो बिछड़ जाते है वो लोग कहाँ मिलते है दिल से दिल

जो बिछड़ जाते है वो लोग कहाँ मिलते है 
दिल से दिल के अब जज्बात कहाँ मिलते है 

मिलते है अब जरूरत से इंसान 
बिना जरूरत के मेहरबान कहाँ मिलते है 

सभी ने पहन रखा है झूठ का नकाब 
अब लोगों मे वो ईमान कहाँ मिलते है

©Ravikant Dushe
  Parul (kiran)Yadav Geet Sangeet Himaani vineetapanchal Neel