रस्ता और गाँव वो अपने गांव की मिट्टी, और मुट्ठी भर का धूल दूर दूर तक हरीयाली, और बगीया में वो फूल बच्चों में मसुमियत , वो लोग सीधे साधे सच्ची सारी रस्में और सच्चे सबके वादे मेरे हसिन ख्वाब , और घना सा वो मंजर पेड़ पौधे, पहाड़, और छोटा-सा वो कंकड़ सौ शब्द भी कम है, वो खुशियों का बहार मेरा कैसे करुं बयां बड़ा प्यारा है वो गांव मेरा!! बड़ा प्यारा है वो गांव मेरा!! #मेरागांव