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ख्वाब जो बुने थे अंधेरी रातों में, आज क्यों बहा दि

ख्वाब जो बुने थे अंधेरी रातों में,
आज क्यों बहा दिए जज़्बातों में?
क्यों घोंटे गले सब अरमानों के, 
अब दबे रहना तले एहसानों के।
क्या उम्मीद है उन रिश्ते - नातों से, 
छलकता फ़रेब है जिनकी बातों से।
' नवीन ' जब मज़ा नहीं मिजाज़ों में ,
तो क्यों लिखता है अल्फ़ाज़ों में ??  #dr_naveen_prajapati
#शून्य_से_शून्य_तक
 #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..
ख्वाब जो बुने थे अंधेरी रातों में,
आज क्यों बहा दिए जज़्बातों में?
क्यों घोंटे गले सब अरमानों के, 
अब दबे रहना तले एहसानों के।
क्या उम्मीद है उन रिश्ते - नातों से, 
छलकता फ़रेब है जिनकी बातों से।
' नवीन ' जब मज़ा नहीं मिजाज़ों में ,
तो क्यों लिखता है अल्फ़ाज़ों में ??  #dr_naveen_prajapati
#शून्य_से_शून्य_तक
 #कवि_कुछ_भी_कलमबद्ध_कर_सकता_है..