अमावस्या की रात किसी सूखे शाख पर बैठा चौकन्ना कोई निरीक्षक हूं मैं; उलूक हूं मैं, रात्रि मेरी...मां और तमस मेरा... ज्येष्ठ है; उलूक हूं मैं, मेरे लिए रात, अंधेरा और अकेलापन डर का पर्याय नहीं, अपितु मेरा सम्पूर्ण जीवन हैं, उलूक हूं मैं, मेरी दृष्टि में जीवन वैसा नहीं जैसा तुम्हारी में है; सृष्टि का अन्य पहलू हूं मैं पर हां विश्वास कर जीवन हूं मैं उलूक हूं मैं, मेरा भी श्रोत वही है जो तेरा है बस दिन उजाला और शोर मेरा नहीं उलूक हूं मैं। #composed_by_the_spiritual_wanderer ©Harendra Singh Lodhi #Light