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harendrasinghlod6308
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Harendra Singh Lodhi

उच्च कोटि हिन्दी साहित्य: लघु कथाएं, कविताएं,विरह गीत एवं आध्यात्मिक लेख हरेन्द्र की कलम से हरेन्द्र की आवाज में।

https://youtube.com/c/%E0%A4%85%E0%A4%98%E0%A5%8B%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%8F%E0%A4%95%E0%A4%B6%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%AD%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4

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Harendra Singh Lodhi

सब कुछ बदल सा गया है 
या शायद कुछ भी नहीं बदला
समय जैसे तेज बहुत तेज चला हो
या शायद चला ही नहीं।

कल...तुम पर हावी
रिश्ते,जिम्मेदारियां दिखीं
और...मुझ पर वही पुराना
तेरा प्यार और आवारगी दिखी।

तू आज भी चिड़िया
जैसे बंधनों की
मैं कोई पक्षी
टूटी पंखों का।

कल मैंने कुछ और भी देखा-
दूरियां एक जमाने दिखीं
पर फासला एक तिनके सा भी न था।

©Harendra Singh Lodhi #lovequotes #lovehurts  #brockenheart 

#candle
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Harendra Singh Lodhi

अमावस्या की रात
किसी सूखे शाख पर
बैठा
चौकन्ना कोई निरीक्षक हूं मैं;
उलूक हूं मैं,
रात्रि मेरी...मां
और तमस मेरा... ज्येष्ठ है;
उलूक हूं मैं,
मेरे लिए रात, अंधेरा और अकेलापन
डर का पर्याय नहीं,
अपितु मेरा सम्पूर्ण जीवन हैं,
उलूक हूं मैं,
मेरी दृष्टि में
जीवन वैसा नहीं
जैसा तुम्हारी में है;
सृष्टि का अन्य पहलू हूं मैं
पर हां विश्वास कर
 जीवन हूं मैं
उलूक हूं मैं,
मेरा भी श्रोत वही है
जो तेरा है
बस दिन उजाला और शोर मेरा नहीं
उलूक हूं मैं।
#composed_by_the_spiritual_wanderer

©Harendra Singh Lodhi #Light
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Harendra Singh Lodhi

आज अंततोगत किञ्चित सा ही सही,
किंतु कुछ कहना चाहता हूं...
बड़ी मुश्किल से एक घरौंदा तैयार किया था तेरे हृदय में,
जब रहने लगा 
तब अचानक से 
न जाने कहां से...
एक अजनबी जबरन घुस आया, 
मैंने तनिक विरोध किया भी, 
कतिपय संघर्ष भी किया,
किन्तु जब तुम ने कहा कि रहने दो उसे यहां!
ये घर तुमने बनाया अवश्य है,
किन्तु तुम्हारा है नहीं...कदाचित उसी का है।
उस दिन तुम्हारे मुंह से 
ये बात सुनकर बहुत रोया था, 
और तिनका तिनका बिखरा भी था
किन्तु वो तूफान वहीं नहीं थमा
मेरे चाहने वाले ने मेरा सामान और बोरिया बिस्तर 
मुझे थमाते हुए कहा कि घर के बाहर, द्वार पर 
अपना सामान रख लो! 
बात जरा ये है कि भीतर अब जगह कम है।
अब उसी घर की चौखट पर पड़ा हूं
जो कभी अपने हाथों से बनाया था, 
जिसके बाहर कभी मेरा ही नेम प्लेट था,
अहा... अब नेम प्लेट बदल गई है
पुरानी वाली की जगह नई ने ली है
जानती हो...कल रात के तूफान में 
मेरी जर्जर टटिया उड़ गई थी
और मैं बिना बताए ही,
बहुत मजबूर होकर,
अपना सारा सामान समेट कर, तुम्हारी चौखट से 
अब कहीं दूर चला आया हूं...
पता नहीं कहां? पर वो वादा अब भी है कि
फिर मिलूंगा... कदाचित किसी और जन्म में।

©Harendra Singh Lodhi एक पराजित प्रेमी

#findyourself

एक पराजित प्रेमी #findyourself #कविता

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Harendra Singh Lodhi

#FourLinePoetry मैं चला प्रेम डगर पर,
मैं मिटा प्रेम डगर पर,
दोनों साथ साथ घटे;
मेरा चलना औ मेरा मिटना...

©Harendra Singh Lodhi #मैं #प्रेम

#fourlinepoetry
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Harendra Singh Lodhi

कौन हूं मैं
#आध्यात्मिक_कविता
#who_am_I

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Harendra Singh Lodhi

कौन हूं मैं?
शायद कुछ भी नहीं
और शायद सब कुछ:
ये आकाश, ये पवन
ये मिट्टी, ये जल और ये अग्नि...
सब कुछ हूं मैं
अडोल खड़ा ये दरखत हूं मैं,
वायुमंडल में उड़ता वो खग हूं मैं,
सब कुछ हूं मैं,
और शायद कुछ भी नहीं,
कौन हूं मैं?

©Harendra Singh Lodhi #मैं #चिंतन #आत्म
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Harendra Singh Lodhi

#महादेव #महाकाल #शिव #शिव_काव्य #महादेव_स्टेटस
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Harendra Singh Lodhi

कुछ प्रेम कहानियां... ऐसे भी समाप्त होती हैं। #विरह #बिछोह #वियोग #हिज़्र #ब्रोकन_हार्ट

कुछ प्रेम कहानियां... ऐसे भी समाप्त होती हैं। #विरह #बिछोह #वियोग #हिज़्र #ब्रोकन_हार्ट #कविता

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Harendra Singh Lodhi

#कथाकार

ठेले पर लदा स्वाभिमान।
#कहानी #हिन्दीसाहित्य #स्वभिमान #वृद्धावस्था #oldage
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Harendra Singh Lodhi

#5LinePoetry किसी को जवाब देने की आदत नहीं रही अब मेरी,
लोगों के प्रश्न और सलाह सुनकर बस 
खामोश रह जाता हूं,
आगे बढ़कर बहुत कुछ सोचता हूं और फिर वहीं आकर ठहर जाता हूं...
उसी चिर परिचित से मोड़ पर;
जहां तू मुझे छोड़कर गया था,
तेरा इंतज़ार करता हूं... तू लौटे न लौटे
...पता है तुझे! एक जिद सी हो गई है
बरसात में कच्चा घर बनाने की,
तूफानों में एक लौ जलाने की।

©Harendra Singh Lodhi किसी को जवाब देने की आदत नहीं रही अब मेरी। #प्रतीक्षा #इन्तजार #waitingforSomeone 

#5LinePoetry

किसी को जवाब देने की आदत नहीं रही अब मेरी। #प्रतीक्षा #इन्तजार #waitingforSomeone #5LinePoetry #कविता

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