मेरी दी हुई पायल जब वो देखती होगी। छुपा के चेहरा आंचल में वो रोती होगी। शाम को उसे मेरी याद जब आती होगी। बड़ी मुस्किल से रात फिर वो सोती होगी। पहले गुल फ़िर तितली बाद मुझे, मगर। सोचता हूं की अब क्या वो सोचती होगी। आहट सी कोई अगर कहीं से आती होगी। तन्हा अकेली राह दूर तक वो देखती होगी। तेरे अल्फाज़ भी मुस्कुरा उठते होंगे जय। जब कभी तेरी ग़ज़लों को वो पढ़ती होगी। मृत्युंजय विश्वकर्मा ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" #bestgazal #bestnojoto #bestshayari #mjaivishwa #Love