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New Year 2025 तुम्हारी बाहों में मैंने अपना घर पाय

New Year 2025 तुम्हारी बाहों में मैंने अपना घर पाया
तुम्हारी बाहों में मैंने अपना घर पाया,
हर दर्द, हर ग़म वहीं पर सिमट आया।
वो सुकून जो दुनिया में कहीं न मिला,
तुम्हारे करीब आकर, उसे जी भर के पाया।

©Narayan Shukla
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