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ALFAZ DIL SE
White कुछ अल्फज़ :- "गुज़रा वक़्त यादों सा लगता है, ज़िंदगी का हर एक पल लम्हा सा लगता है! हथेली पे बिखरी कई टूटी लकीरें, मुठी मे बंद हो तो हिम्मत सा लगता है! खुद से खुद का रिश्ता, दिल से जुड़ी हयात है! समझो तो एक उम्र सी है, परखो तो फिज़ूल सी कायनात है!" ©ALFAZ DIL SE #Sad_Status #drdanpoetry hindi poetry on life hindi poetry
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read moreDinesh Kumar Pandey
White तुम्हारी स्मृतियों का ताना-बाना, कुछ अजीब सा है। बुनता रहा मैं रात-दिन, फिर भी यह उलझा रहा। ।।क्रमशः।। ©Dinesh Kumar Pandey hindi poetry
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read moreDinesh Kumar Pandey
White जिन्दगी की दौड़ में पिछड़ सा गया, जहाँ से शुरू किया था वहीं पर पुनः पहुंच गया, दोष किसको दूँ अपनी किस्मत का, कल तक थे जो अनुचर, वक्त ने उन्हें आज मालिक बना दिया। ©Dinesh Kumar Pandey hindi poetry
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read moreDinesh Kumar Pandey
White मुफलिसी का आलम लिखूँ या फिर पूंजीवाद का विस्तार लिखूँ। साम्यवाद लिखूँ या फिर सामंतवाद पर लिखूँ। आखिर मैं क्या लिखूँ ? बता मेरी जिंदगी, आखिर मैं क्या-क्या लिखूँ कब कब लिखूँ , क्यों लिखूँ नहीं लिखूँ।। ।। समाप्त।। ©Dinesh Kumar Pandey hindi poetry
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read moreDinesh Kumar Pandey
White आखिर मैं क्या लिखूँ ? पिता का बलिदान लिखूँ या फिर माता का वात्सल्य लिखूँ। भाई का प्यार लिखूँ या फिर बहन का सम्मान लिखूँ। आखिर मैं क्या लिखूँ ? दीपावली की चमक लिखूँ या फिर अपनों से बिछड़ने का गम लिखूँ। भारत का गुणगान लिखूँ या फिर आतंकवाद का प्रसार लिखूँ। ।।क्रमशः।। ©Dinesh Kumar Pandey hindi poetry
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read moreDinesh Kumar Pandey
White आखिर मैं क्या लिखूँ ? काल के कपाल पर लिखूँ, या फिर अपना वर्तमान लिखूँ। फूलों का हार लिखूँ, या फिर काँटों की सेज लिखूँ। आखिर मैं क्या लिखूँ ? तुम्हारा यश लिखूँ या फिर अपना अपयश लिखूँ। जीने की आस लिखूँ या फिर मृत्यु का वास लिखूँ ।।क्रमशः।। ©Dinesh Kumar Pandey hindi poetry
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read moreAayushi Patel
शून्य से ही मैं बना, शून्य ही मैं बन जाऊं। शून्य शून्य कहते कहते, शून्य में ही विलीन हो जाऊं। ©Aayushi Patel #Hindi #poetry
Bharat Bhushan pathak
जीवन सजीव,सुखद गतिशील,क्रियाशील,दीर्घायु प्राणयुक्त,जीवनरेखा,जीवनपर्यंत,चेतनापूर्ण व्यतीत,समर्पित,संघर्षी जीवंत,सुखमय प्राण। मृत्यु भयावह,विकराल मारक,नाशक,नष्टकर अंत,विराम,काल हंता,अवरोधक,प्राणांत,निधन दमघोंटू,दुखद मौत। ©Bharat Bhushan pathak love poetry in hindi poetry lovers hindi poetry poetry in hindi poetry quotes
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read moreBharat Bhushan pathak
विषय-वीर/ आल्हा छंद विधा-१६-१५ मात्रा प्रति चरण,चार चरण। दो-दो चरण समतुकांत।चरणांत गुरु लघु रखना है। छंदों का तुम भी कर जाना,केवल थोड़ा ही अभ्यास। नहीं कभी तुम ऐसे-वैसे,करना नहीं शब्द विन्यास।। ये विधा है बहुत ही प्यारी,सीखो इसका अभी विधान। अँधेरे में तीर ना छोड़ो,सोच-समझ करना संधान।। काव्य लगे बिना छंद सूना,सीखो थोड़ा इसको आज। स्वरविहीन ही गाना ये है,संगीत बिना ये है साज।। ©Bharat Bhushan pathak hindi poetry on life hindi poetry poetry in hindi poetry
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