कागज़ सा कोरा है या मोर पंख सा सजीला रूई सा हल्का है तू या अपराधबोध सा भारी या बस दादी-नानी की कहानी जैसा मोहक, मनभावन की जैसे मैं बहती जाऊँ तेरी लहरों में और गोते लगाऊं अपने लड़कपन में.... ख्वाबों की साइकिल बस यूंही लड़खड़ा गई, जिम्मेदारियों के पत्थर से बड़े जोर से टकरा गई। #छूकरदेखूँ #collab #yqdidi #yourquoteandmine Collaborating with YourQuote Didi #बचपन