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लोग रहते हैं अक्सर घर की तलाश में और हम रहे हमेशा

लोग रहते हैं अक्सर घर की तलाश में
और हम रहे हमेशा सफर की तलाश में

जाने कितने और सर कटेगा अभी वह
कमबखत बस एक सर की तलाश में

हमको ना उम्मीदियों ने उभरने नहीं दिया
कश्ती लिए बैठे रहे लहर की तलाश में

किससे कहते कौन सुनता कौन अपना था यहां 
शायद गुज़र जाएंगे हम भी सहर की तलाश में

लो हम भी मुसाफिर बने तो भटकते हुए ही शिव
कमबखत बस उस एक हमसफर की तलाश में

©Shiv Anand 
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shivanand5547

Shiv Anand

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