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वज़ूद! कहने को तो सारा जहाँ, आशियां था मेरा। मगर म

वज़ूद!

कहने को तो सारा जहाँ,
आशियां था मेरा।
मगर मंजिल ने तोड़ लिए वो सारे तारे ,
जो मैं अपनी ही परछाईं को ढूंढ़ते हुए,
चला आया था अकेला ही सुनसान राहों में ,
मगर सुबह होती गयी और सपने टूटते गए,

#कविता अनुशीर्षक में 
 वज़ूद

कहने को तो सारा जहाँ,आशियाना था मेरा ,
मगर मंजिल ने तोड़ लिए वो सारे तारे 
जो मैं अपनी ही परछाईं को ढूंढ़ते हुए,
चला आया था अकेला ही सुनसान राहों में ,
मगर सुबह होती गयी और सपने टूटते गए,
फिर भी चलता रहा मैं इसी जद्दोजहद में
वज़ूद!

कहने को तो सारा जहाँ,
आशियां था मेरा।
मगर मंजिल ने तोड़ लिए वो सारे तारे ,
जो मैं अपनी ही परछाईं को ढूंढ़ते हुए,
चला आया था अकेला ही सुनसान राहों में ,
मगर सुबह होती गयी और सपने टूटते गए,

#कविता अनुशीर्षक में 
 वज़ूद

कहने को तो सारा जहाँ,आशियाना था मेरा ,
मगर मंजिल ने तोड़ लिए वो सारे तारे 
जो मैं अपनी ही परछाईं को ढूंढ़ते हुए,
चला आया था अकेला ही सुनसान राहों में ,
मगर सुबह होती गयी और सपने टूटते गए,
फिर भी चलता रहा मैं इसी जद्दोजहद में
suparasjain9052

Suparas Jain

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