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सुकून की तलाश में नींद गवां बैठे हैं हम समझते थे ज

सुकून की तलाश में नींद गवां बैठे हैं हम
समझते थे जिसे अपना उसको भुला बैठे हैं हम
नहीं है अब परवाह उसे आज मालूम पड़ा
उसकी जिद में गाँव, शहर, कस्बा छोड़ बैठे हैं हम

©Sanjay Ni_ra_la
  सुकून की तलाश में नींद गवां बैठे हैं हम
समझते थे जिसे अपना उसको भुला बैठे हैं हम
नहीं है अब परवाह उसे आज मालूम पड़ा
उसकी जिद में गाँव, शहर, कस्बा छोड़ बैठे हैं हम

सुकून की तलाश में नींद गवां बैठे हैं हम समझते थे जिसे अपना उसको भुला बैठे हैं हम नहीं है अब परवाह उसे आज मालूम पड़ा उसकी जिद में गाँव, शहर, कस्बा छोड़ बैठे हैं हम #शायरी

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