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मैं धारा हु । मगर अब कचड़े से भरा हु। मैं तुम्हारी

मैं धारा हु ।
मगर अब कचड़े से भरा हु।
मैं तुम्हारी अंधाधुंध उन्नति का परिणाम हु।
आज कूड़ो से जाम हु।
मैं ही हु जननी तुम्हारी,
मैंने तुम्हें जन्म दिया ।
मगर मेरी ही कोख से निकल कर,
मेरे ही गोद मे पल कर,
तुमने मुझे दगा दिया।
ता उम्र तुझे देती रही ,
और देती रहूंगी।
मैं तो जननी हु ,
मैं अपने बच्चे की हर गलती सहती रहूंगी।
एक बार ही सही सोचो मेरे बारे मे,
तुमने मेरे लिए क्या किया।
,🖋️रिंकी



 #पर्यावरण_दिवस  #collab #यकदीदी #यकबाबा #यकबेस्टहिंदीकोट्स #यककोट     #worldenvromentday
मैं धारा हु ।
मगर अब कचड़े से भरा हु।
मैं तुम्हारी अंधाधुंध उन्नति का परिणाम हु।
आज कूड़ो से जाम हु।
मैं ही हु जननी तुम्हारी,
मैंने तुम्हें जन्म दिया ।
मगर मेरी ही कोख से निकल कर,
मेरे ही गोद मे पल कर,
तुमने मुझे दगा दिया।
ता उम्र तुझे देती रही ,
और देती रहूंगी।
मैं तो जननी हु ,
मैं अपने बच्चे की हर गलती सहती रहूंगी।
एक बार ही सही सोचो मेरे बारे मे,
तुमने मेरे लिए क्या किया।
,🖋️रिंकी



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