देख तू मुझको इलजामें मस्ती ना दें गर कदम डगमगाए तो मैं क्या करूँ देख मुझको तू हरगिज़ समझेगा ना ऐ मेरे खुदा , मैं नौशीयाँ मेरी बद मस्तियाँ , एक अल्हड़ हसीना मुझें देखकर ,हंसके सागर पिलाये तो मैं क्या करूँ मुझको तू बेवफाई की तोहमत ना दें, पुछले चरागे गवाहे शहर , मरते दमतक मुसलसल पुकारा किये आने वाला ना , आया तो मैं क्या करूँ #neerajwrites एक मुलाकात जरूरी है सनम