हर शख्स का अपना अपना खुदा होता है पर मेरा खुदा वही है जो सबका खुदा होता है अब मेरे फैसलो मे वही है मेरे हौसलों मे भी वही है. मेरा मुझमे कुछ भी नहीं. मेरी शख्सियत मे भी वही रहता है मुझे खुदा से कोई गिला नहीं क्योंकि मैं उससे कभी मिला नहीं गिला तो उससे होती है जिसका कोई पता ठिकाना होता है मेरी शुरुवाद कहा से हुई और मेरा अंत क्या होगा? मेरी तलाश जारी है देखे क्या कुछ सामने आता है ©Parasram Arora मेरा खुदा