सागर है तुझमें बेशुमार प्यार का मैं एक बूँद सी, मिलने को तुझमें तरसी जा रही हूँ; मोह नहीं मुझे अपने अस्तित्व को खोने का, अब जो भी मैं करूँ, तेरी ही ओर बढ़ती जा रही हूँ; डूबे हैं लोग जिसकी गहराइयों में अब तक, रस उस इश्क़ का तो मैं भी चखना चाह रही हूँ, और बंधन में होकर भी रेहते हैं आज़ाद कैसे, कुछ ऐसी अद्भुत कलाएँ सीखना तुझसे चाह रही हूँ; पूरे तो तुम भी नहीं हो, फिर किस बात का यह दिखावा है, जिस समाज के लिए बदलने चले हो फ़ैसले, उसने कब तन्हायी में हाथ तुम्हारा थामा है? ये वक़्त, उम्र, एहसास लौट कर फिर नहीं हैं आते, सब पड़ाव जीवन के, अकेले पार किए नहीं जाते; थोड़ा लालच है मुझे, अपना तुम्हें बनाने का, हक़ जो चाहिए, अपना तुम्हें कहलाने का; बस एक बूँद सी ही तो हूँ मैं, तुम्हारे प्यार के सागर में मिलना चाहती हूँ। ©Swarnima Sharma #milan #pyaarkaehsaas #pyaarzindagihai #sagar #boond