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माता-पिता व गुरुजन अपनीं सन्तानों व शिष्यों के लि

माता-पिता व गुरुजन अपनीं सन्तानों व शिष्यों 
के लिए किये गये त्याग ,उपकार को;

कभी कभी "एहसान जताने के लिए" नहीं
अपितु 
उसे "एहसास दिलाने के लिए" कहना पड़ता। 
ताकि वह उसका महत्त्व समझकर
आगे बढ़ने की प्रेरणा ले सके।

●आशीष●द्विवेदी●

©Bazirao Ashish
  माता-पिता व गुरुजन अपनीं सन्तानों व शिष्यों के लिए किये गये त्याग ,उपकार को;

कभी कभी "एहसान जताने के लिए" नहीं
अपितु 
उसे "एहसास दिलाने के लिए" कहना पड़ता। 
ताकि वह उसका महत्त्व समझकर
आगे बढ़ने की प्रेरणा ले सके।

माता-पिता व गुरुजन अपनीं सन्तानों व शिष्यों के लिए किये गये त्याग ,उपकार को; कभी कभी "एहसान जताने के लिए" नहीं अपितु उसे "एहसास दिलाने के लिए" कहना पड़ता। ताकि वह उसका महत्त्व समझकर आगे बढ़ने की प्रेरणा ले सके। #विचार

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