"बाल कविता" ___________ हम बच्चे हैं भोले-भाले करते रहते काम निराले। उल्टे-सीधे,टेढ़े-मेढ़े जैसा बनता वैसे जोड़ें। चाहे धूप कड़ी हो कितनी चाहे बरफ सी ठंड हो जितनी। हमको फरक ना पड़ता है, हमको तो दिन-रात बस खेलना अच्छा लगता है। #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #restzone#rzबालसाहित्य