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Poonam Suyal

गद्यांश 1 ललक्ष्य तय है लक्ष्य तय है मेरा नहीं है किसी बात का डर चल चुकी हूँ मैं मंज़िल की ओर परिणाम की मुझको नहीं है फ़िकर #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #rzhindi #rzकाव्यसंरचना #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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लक्ष्य तय है 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) गद्यांश 1

ललक्ष्य तय है 

लक्ष्य तय है मेरा 
नहीं है किसी बात का डर 
चल चुकी हूँ मैं मंज़िल की ओर 
परिणाम की मुझको नहीं है फ़िकर

Poonam Suyal

हास्य रस चले थे मोहब्बत करने उनकी झील सी आँखों के हम तो बरबस कायल हो गए जानकर कि उन तिरछी निगाहों का निशाना था कोई और, हम तो घायल हो गए लगा हमें कि अपनी मोहब्बत का इज़हार वो हमसे कर ही देगी #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzरसग़ज़ल #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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चले थे मोहब्बत करने 

(अनुशीर्षक में पढ़ें)




 हास्य रस 

चले थे मोहब्बत करने 

उनकी झील सी आँखों के हम तो बरबस कायल हो गए 
जानकर कि उन तिरछी निगाहों का निशाना था कोई और, हम तो घायल हो गए 

लगा हमें कि अपनी मोहब्बत का इज़हार वो हमसे कर ही देगी

Poonam Suyal

तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! महादेवी वर्मा तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! तुम बसते हो दिल में मेरे मुझसे अलग तुम हो सकते नहीं तुम्हारे होने से ही दमकते हैं हम तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या? #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! 

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 तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! महादेवी वर्मा 

तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या! 

तुम बसते हो दिल में मेरे 
मुझसे अलग तुम हो सकते नहीं 
तुम्हारे होने से ही दमकते हैं हम 
तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या?

Poonam Suyal

खूबियाँ हैं हम सब में जंगल के राजा शेर ने बुलाया सभी को करने युद्ध की तैयारी करने लगा मंत्रणा सबसे किसको क्या दी जाएगी जिम्मेदारी हाथी, हिरण, खरगोश, बंदर, गधा, भालू #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzबालसाहित्य #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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खूबियाँ हैं हम सब में 

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 खूबियाँ हैं हम सब में 

जंगल के राजा शेर ने बुलाया सभी को 
करने युद्ध की तैयारी 
करने लगा मंत्रणा सबसे 
किसको क्या दी जाएगी जिम्मेदारी 

हाथी, हिरण, खरगोश, बंदर, गधा, भालू

Poonam Suyal

आधुनिक भारत हमारा देश भारत कई धर्मों, भाषाओं, प्रदेशों का देश है। भिन्न-भिन्न प्रकार के रिवाज़, परिधान, व्यंजन यहाँ की ख़ासियत है।  भिन्नताओं के होते हुए भी यहाँ एकता हर जगह पायी जाती है। प्राचीन समय से आज के आधुनिक समय तक हम भारतवासियों ने बहुत कुछ देखा और झेला है। अपनी गलतियों से सीखा है हमने। तब जाके आज पूरे विश्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हम आज तरक्की की राह पर अग्रसर हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति करने के बाद से आज तक हमने एक तरफ बहुत कुछ खोया है तो दूसरी तरफ कितना कुछ पाया भी है। आधुनिक भ #yqdidi #yqrestzone #collabwithrestzone #yqrz #rzhindi #rzसाहित्य #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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आधुनिक भारत 

(अनुशीर्षक में पढ़ें) आधुनिक भारत 

हमारा देश भारत कई धर्मों, भाषाओं, प्रदेशों का देश है। भिन्न-भिन्न प्रकार के रिवाज़, परिधान, व्यंजन यहाँ की ख़ासियत है।  भिन्नताओं के होते हुए भी यहाँ एकता हर जगह पायी जाती है। 

प्राचीन समय से आज के आधुनिक समय तक हम भारतवासियों ने बहुत कुछ देखा और झेला है। अपनी गलतियों से सीखा है हमने। तब जाके आज पूरे विश्व के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हम आज तरक्की की राह पर अग्रसर हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति करने के बाद से आज तक हमने एक तरफ बहुत कुछ खोया है तो दूसरी तरफ कितना कुछ पाया भी है। 

आधुनिक भ

Anuj Jain

रात होने को थी परंतु बिट्टू की आँखों में नींद का नामो निशान न था। 
छुटकी ने बताया था की आज अमावस्या की रात है और आज भूत निकलते हैं उन बच्चों को खाने जो झूठ बोलते हैं। छुटकी के अनुसार पहले भूत उन बच्चों के बाल पकड़ कर हवा में लटका देते हैं। 
बिट्टू को डर खाये जा रहा था की उसने छुटकी की चॉकलेट खा ली थी और कहा था की उसने नही देखी। 
सुबह माँ ने जब बिट्टू के कमरे में देख तो वो एक कोने में पड़ा सो रहा था और उसके बगल में कैंची पड़ी थी तथा उसके कटे हुए बाल ज़मीन पर बिखरे हुए थे। #rzबालसाहित्य 
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Insprational Qoute

काव्यसंरचना गद्यांश:-२ शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण ******************************** सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य का समर्पण है, मनुष्य की सफलता व दुर्लभता का सार कहे ऐसा साहित्य समाज का दर्पण है, #yqbaba #yqdidi #restzone #साहित्य_दर्पण #rzकाव्यसंरचना #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन #Nishakamwal

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काव्यसंरचना
गद्यांश:-२
शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण
********************************
सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज  सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य का समर्पण है,
मनुष्य की सफलता व दुर्लभता का सार कहे ऐसा साहित्य समाज का दर्पण है।

सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़े😊 काव्यसंरचना
गद्यांश:-२
शीर्षक:-साहित्य समाज का दर्पण
********************************

सर्वप्राचीन समूल सभ्यता जो आज  सुलभ्य बनी ऐसा साहित्य का समर्पण है,
मनुष्य की सफलता व दुर्लभता का सार कहे ऐसा साहित्य समाज का दर्पण है,

Insprational Qoute

करुण रस (गजल) "माँ भारती की दुर्दशा की पुकार"" --------------------------- अश्रुपूरित नैन व चीख कर कहे हे माँ!भारती तेरे देश हालत क्या हो रही, मानव में न मानवता बची इंसान की इंसानियत भी जार जार अब हो रही, #restzone #करुण_रस #rzरसग़ज़ल #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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करुण रस (ग़ज़ल) 
"माँ भारती की दुर्दशा की पुकार""
*************
अश्रुपूरित नैन व चीख कर कहती हे माँ!भारती तेरे देश हालत क्या हो रही,
मानव में न मानवता बची इंसान की इंसानियत भी जार जार अब हो रही,

जिस्म है पर रूह नही,त्याग चुके यह मन के सद्विचार  व सदवृति को
मादा तन के इन भूखे भेड़ियों की संख्या भी  देखो  असंख्य  हो  रही,

सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏 
करुण रस (गजल)
"माँ भारती की दुर्दशा की पुकार""
---------------------------

अश्रुपूरित नैन व चीख कर कहे हे माँ!भारती तेरे देश हालत क्या हो रही,
मानव में न मानवता बची इंसान की इंसानियत भी जार जार अब हो रही,

Insprational Qoute

सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी! नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही....... कलकल करती बदली आज पिया कुछ कह रही, सावन की रुत भी अब बह रही, मन बांवरा बिन तेरे अब लागे नही, कौन सुने मेरी पीड़ आ जाओ, ये सांवरी तेरी तुझे बुला रही #महादेवी_वर्मा #restzone #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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कवयित्री:- महादेवी वर्मा
कविता -सांध्यगीत( सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!)
प्रथम पंक्ति -  सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!
अंतिम पंक्ति - दुख से, रीति जीवन-गगरी।

सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी!
नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही.......

सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़े😊
 सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी!
नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही.......

कलकल करती बदली आज पिया कुछ कह रही,
सावन  की रुत भी  अब  बह रही,
मन बांवरा बिन तेरे अब लागे नही,
कौन सुने मेरी पीड़ आ जाओ,
ये सांवरी तेरी तुझे बुला रही

तेरे बिन अधूरा सा हूं...!!❤️

"लक्ष्य"
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राह मिलेगी चलने को साथी तुमको अनेक
लेकिन लक्ष्य बनाओ,सफलता पाने को एक।

बिना लक्ष्य के जीवन तुम्हारा व्यर्थ है
लक्ष्य बिना जिंदगी तुम्हारी अस्त-व्यस्त है।

गिरो गर कई बार तुम,बार-बार उठना सीखो
सफलता मिलेगी एक दिन तुमको 
मन में दृढ़ संकल्प बना कर रखो।

सफलता-असफलता जिंदगी का उसूल है
लक्ष्य बनाकर न चलना जिंदगी की बड़ी भूल है।

जिसका लक्ष्य बनाओ तुम,स्वप्न में भी वो आए
तुमको रात भर जगाए लक्ष्य का याद दिलाए। || गद्यांश १ || 

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