वो मेरी मोहब्बत को मोहब्बत समझती ही नहीं,, देखा नहीं कभी उसने मुझे सजदे में, तो सोचता है किसी के आगे झुकता ही नहीं,,, क्या बताऊं उसको की मेरे इबादत में वो रहती है ,,, इसी सजदे में मेरा सर कभी उठा ही नहीं ,, वो मेरी मोहब्बत को मोहब्बत समझती ही नहीं। ,,,,,,,,,,,,,रजत कुमार #लेट नाइट शायरी