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आखिर क्यूं...... खुशी छोटी हो जाती है, दुःख के आग

आखिर क्यूं......
खुशी छोटी हो जाती है, दुःख  के आगे
लोग दिखावा ढूंढते है सादगी के आगे
हम जैसे है वैसे अच्छे क्यूं नहीं
दूरियां क्यूं बढ़ जाती है पैसे के आगे।

इस साल ने हमें बताया
ख़ाक होने को दो गज़ ज़मीन ही चाहिए
फिर गुमान क्यूं पॉवर का आया
इरफान, ऋषि को तो पैसे ने भी ना बचाया
सुशांत को तो शायद इस ख्याति ने खाया।

फिर गुमान किस बात का, और दिखावा किस बात का
मिलते रहो अपनों से, दूरियां ना बढ़ाओ
जब मौका मिले सारी बाते बयां करो
अच्छे, बुरे सभी सुनाया करो
कम से कम एक प्याला चाय साथ में पिया करो।
               एक प्याला चाय #कलाकार #collabwithकोराकाग़ज़ #कल्पना #कलाऔरसमाज #कलकीबात
आखिर क्यूं......
खुशी छोटी हो जाती है, दुःख  के आगे
लोग दिखावा ढूंढते है सादगी के आगे
हम जैसे है वैसे अच्छे क्यूं नहीं
दूरियां क्यूं बढ़ जाती है पैसे के आगे।

इस साल ने हमें बताया
ख़ाक होने को दो गज़ ज़मीन ही चाहिए
फिर गुमान क्यूं पॉवर का आया
इरफान, ऋषि को तो पैसे ने भी ना बचाया
सुशांत को तो शायद इस ख्याति ने खाया।

फिर गुमान किस बात का, और दिखावा किस बात का
मिलते रहो अपनों से, दूरियां ना बढ़ाओ
जब मौका मिले सारी बाते बयां करो
अच्छे, बुरे सभी सुनाया करो
कम से कम एक प्याला चाय साथ में पिया करो।
               एक प्याला चाय #कलाकार #collabwithकोराकाग़ज़ #कल्पना #कलाऔरसमाज #कलकीबात