मुखड़ा देख के दर्पन में तू क्यूँ रोया दुखड़ा देख के जीवन में तू क्यूँ रोया औक़ात समझ ना पाया जीवन की खुद भटका जीवन को भी भटकाया जब वक्त निकल गया हाथों से तब समझ में आया समझ आ गयी जब जीवन में फिर तू क्यूँ पछताया ©Mukesh Tyagi मुखड़ा देख के दर्पन में तू क्यूँ रोया #Dark