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मुक्तक हो चिरागों की कैसे हिफाज़त यहां। कर रही है

मुक्तक
हो चिरागों की कैसे हिफाज़त यहां।
कर रही है हवा भी बगावत यहां।
वक्त सूरज को भी, है बुझाता रहा।
वक्त को भी मिली है विरासत यहां।

©Dr Nutan Sharma Naval
  #मुक्तक_श्रृंखला