सामीप्य पाने के प्रतिदिन के नए बहाने अब अच्छे नतीजे नहीं दे रहे हैँ मुझे भला रोज अपनी कमीज के बटन तोड़ कर टूटे बटनों को टंकवाने का मजा कोई कब तक ले सकता हैँ औऱ रूमाल चश्मा आये दिन यादरहते हुए भी भूल जाने की कवायद रोज कब तक की जा सकती हैँ सामीप्य.....