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मैनेजमेंट *******

मैनेजमेंट
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                                      ©शिल्पा उपाध्याय

कविताएं तो में अच्छी नहीं लिखती 
पर मेरे आवाज के मामले में हिट हो जाती है,
शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ के कविताओं को आवाज दे दो,
 मेरी कविताएं शॉर्ट सर्किट हो जाती है।

 मैनेजमेंट की क्या बात करूं, 
मेरी कलम ही अदालत बन जाती है,
 कागज पर खींची हुई वह पंक्तियां
 खुद वकालत करने लग जाती है। 

तारीफ करने लगती हूं, उनके मैनेजमेंट की
जहां कागज कलम नहीं, 
फिल्म की तरह जुड़ रहै हैं किस्से।
मैं उस दौर का कवि हूं जनाब 
यहां कागज कलम से ही बन जाते हैं रिश्ते।

मेरी तारीफ में पिघल ना जाइयेगा, 
यह मेरी आपसे बात करने के तरीके हैं।
इस महफिल में हर चीज मैनेजमेंट में है,
आंखों से पर्दा हटाइएगा मेरे हुजूर,
आपके मैनेजमेंट तो बस फीके हैं ।

©Shilpa Upadhyay
  #Apocalypse