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आसा नही ऊँ हो जाना खुले आसमां सी सोच रखता हू बजह

आसा नही ऊँ हो जाना 
खुले आसमां सी सोच रखता हू 
बजह नही किसी के गम का 
हर एक चेहरे  पर मुस्कान रखता हू
हो जाउँ गर मगरूर अपने इश्क मे 
तो बस एक इश्क ए पहचान रखता हूँ 
 माना तुम्हे हर बात का यकी नही मगर 
अपनी जो बात है उसमे इमान रखता हू #इमान
आसा नही ऊँ हो जाना 
खुले आसमां सी सोच रखता हू 
बजह नही किसी के गम का 
हर एक चेहरे  पर मुस्कान रखता हू
हो जाउँ गर मगरूर अपने इश्क मे 
तो बस एक इश्क ए पहचान रखता हूँ 
 माना तुम्हे हर बात का यकी नही मगर 
अपनी जो बात है उसमे इमान रखता हू #इमान