Nojoto: Largest Storytelling Platform

मुरझा गया हूँ महक अब भी रखता  हूँ, हौसलामंद हूँ ल

मुरझा गया हूँ महक अब भी रखता  हूँ,

हौसलामंद हूँ ललक अब भी रखता हूँ ।

जब जी चाहे छू के देख लो मुझे इंसानों,

कोमल फूल हूँ लचक अब भी रखता हूँ ।

मिटा दूँगा हर रंज-ओ-ग़म जानेमन तेरा,

तेरे प्रेम की वो कसक अब भी रखता हूँ ।

झुकने न दूंगा तिरंगे को किसी हाल में,

वतन-परस्त हूँ दहक अब भी रखता हूँ ।

©ANIL KUMAR
  #दीवानगी