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White मनहरण घनाक्षरी छंद- घर- घर उल्लास है, क

White  

 मनहरण घनाक्षरी छंद-

घर- घर उल्लास है, कोई नहीं उदास है।
बह रही चहुँ ओर,फागुनी बयार है।।
आम फूली अमराई,छाँव लगे सुखदाई।
छाया हर तन पर, रंगों का खुमार है।।
देख चहुँ हरियाली,कूँजे पिक मतवाली।
कल- कल बह रही,गंगा नदी धार है।।
झूम रहे नर नारी,देख खेत बाग- बारी।
धरा ने भी कर लिया,सोलह श्रृंगार है।।

घूम-घूम खग वृंद,गा रहे हैं गीत छंद।
खिल गई हर कली, झूम रही डाली है।।
चम-चम करें तारे, लगें मन अति प्यारे।
जगमग होती अब,रात काली-काली है।।
यौवन उमंग भरे,चोली बहु तंग करे।
इठलाती फिर रही,गोरी मतवाली है।।
मल गई रंग गाल,आई न समझ चाल।
बड़ी नटखट मेरे,भैया जी की साली है।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Spring 
#poem
#छंद 
#Festival 
#Nature 
#Friend
White  

 मनहरण घनाक्षरी छंद-

घर- घर उल्लास है, कोई नहीं उदास है।
बह रही चहुँ ओर,फागुनी बयार है।।
आम फूली अमराई,छाँव लगे सुखदाई।
छाया हर तन पर, रंगों का खुमार है।।
देख चहुँ हरियाली,कूँजे पिक मतवाली।
कल- कल बह रही,गंगा नदी धार है।।
झूम रहे नर नारी,देख खेत बाग- बारी।
धरा ने भी कर लिया,सोलह श्रृंगार है।।

घूम-घूम खग वृंद,गा रहे हैं गीत छंद।
खिल गई हर कली, झूम रही डाली है।।
चम-चम करें तारे, लगें मन अति प्यारे।
जगमग होती अब,रात काली-काली है।।
यौवन उमंग भरे,चोली बहु तंग करे।
इठलाती फिर रही,गोरी मतवाली है।।
मल गई रंग गाल,आई न समझ चाल।
बड़ी नटखट मेरे,भैया जी की साली है।।

     स्वरचित रचना-राम जी तिवारी"राम"
                           उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

©Ramji Tiwari #Spring 
#poem
#छंद 
#Festival 
#Nature 
#Friend
ramjitiwari1532

Ramji Tiwari

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