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"भाव जगा कुछ अंतर्मन में, विचारों की झंकार बज रही

"भाव जगा कुछ अंतर्मन में,
विचारों की झंकार बज रही है;
रस, छंद, अलंकार से,
अक्षरमाला सज रही है।

शब्दों की कल्पना,
कविता रूप में जच रही है;
पर हम कविता को रच रहे हैं,
anjalisinghal5635

Anjali Singhal

Bronze Star
New Creator
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"भाव जगा कुछ अंतर्मन में, विचारों की झंकार बज रही है; रस, छंद, अलंकार से, अक्षरमाला सज रही है। शब्दों की कल्पना, कविता रूप में जच रही है; पर हम कविता को रच रहे हैं, #Poetry #PoetryDay #विश्वकवितादिवस #AnjaliSinghal

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