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क्या शब्द लिखूं मैं आप पर महिमा लिखी ना जाई जितना

क्या शब्द लिखूं मैं आप पर महिमा लिखी ना जाई
जितना शब्द में लिखने लगा बस कमी दिखती जाई
सादर चरण वंदन करूं हे गुरूवर हृदय कुंज समाय
देकर आशीर्वाद मुझ अधम को सकल राह दिखलाई

मैं अबोध अंजान अयोग्य था जीवन रथ चल ना पाय
लगाम थाम कर निज हाथों में चरणों में लिए समाय 
मैं अभागा छल, पापों का मारा नित उठ चिंता सताई 
आन मिले गुरूदेव मुझे तब मेरी चिंता उड़ी उड़ी जाई

रहे आपका छत्र सदा इस नादान बालक के सिरछाई 
कोई बाल ना बांका हो सकें इस मानुष जनम के माय
बस कृपा रखो सदा करूणानिधि हे जगत पिता रघुराई
नौका भव जल पार को गुरूवर आपकी कृपा से जाई

©'लेख' R@√| guru purnima
क्या शब्द लिखूं मैं आप पर महिमा लिखी ना जाई
जितना शब्द में लिखने लगा बस कमी दिखती जाई
सादर चरण वंदन करूं हे गुरूवर हृदय कुंज समाय
देकर आशीर्वाद मुझ अधम को सकल राह दिखलाई

मैं अबोध अंजान अयोग्य था जीवन रथ चल ना पाय
लगाम थाम कर निज हाथों में चरणों में लिए समाय 
मैं अभागा छल, पापों का मारा नित उठ चिंता सताई 
आन मिले गुरूदेव मुझे तब मेरी चिंता उड़ी उड़ी जाई

रहे आपका छत्र सदा इस नादान बालक के सिरछाई 
कोई बाल ना बांका हो सकें इस मानुष जनम के माय
बस कृपा रखो सदा करूणानिधि हे जगत पिता रघुराई
नौका भव जल पार को गुरूवर आपकी कृपा से जाई

©'लेख' R@√| guru purnima