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बिल्कुल ऐसा ही फूल था मै कार रोककर बाहर उदासी में

बिल्कुल ऐसा ही फूल था
मै कार रोककर बाहर उदासी में झांक रहा था

और वो कीचड़ में से मुंह निकाल कर 
मुस्कुराता टुकर-२ मुझे देख रहा था।

जैसे कह रहा हो मुस्कुराने के पैसे थोड़े लगते हैं,
मुट्ठी भर मुस्कुराहट है दाने फैलाकर देख रहा था।



मैने भी कार में से कुछ झुठे पर खालिस फलों की गुठलियां,
बाहल उछाली और सारा जंगल अपनों की मिलने की खुशी में मुझे शामिल कर रहा था
बिल्कुल ऐसा ही फूल था
मै कार रोककर बाहर उदासी में झांक रहा था

और वो कीचड़ में से मुंह निकाल कर 
मुस्कुराता टुकर-२ मुझे देख रहा था।

जैसे कह रहा हो मुस्कुराने के पैसे थोड़े लगते हैं,
मुट्ठी भर मुस्कुराहट है दाने फैलाकर देख रहा था।



मैने भी कार में से कुछ झुठे पर खालिस फलों की गुठलियां,
बाहल उछाली और सारा जंगल अपनों की मिलने की खुशी में मुझे शामिल कर रहा था