पनप रही है हर जगह, स्वाद ए मिठास इश्क़ की। फ़िर भी नही समझ रहा कोई यहां, बात इश्क़ की। मिट रहे है कितने आशिक़, छलावे की मोहब्बत में, पर बदनाम हो रहा यहां पर, रिवाज़ ए इश्क़ की।। घोल रहा है कोई जिन्दगी में प्यार, तो कहर दर्द का, लुट रहे है आशिक़, तो मिट रही है यादें इश्क़ की।। ना मंज़िल है इसकी, ना राहें है किसी दिलदार की, पर कर रहा हर कोई इश्क़, मर्यादा यही इश्क़ की।। तुम भी कर लो प्रेम सबसे, बदलो प्रेम की परिभाषा। इश्क़ को इश्क़ से मिलाओ, इंसानियत यही इश्क़ की। गोता लगा लो इसमे, तुम भी पा लो दिलदार अपना। सिखाता है सभी को प्रेम, मज़हब है यही इश्क़ की।।— % & ♥️ Challenge-839 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ Happy Chocolate Day ♥️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।